हौज़ा न्यूज़ एजेंसी
☀ आजः
शुक्रवार: रबीउस सानी 444 की 2 और अक्टूबर 2022 की 28 तारीख हैं।
☀ इत्रे कुरआन:
إِذْ قَالَ لِأَبِيهِ وَقَوْمِهِ مَا هَٰذِهِ التَّمَاثِيلُ الَّتِي أَنتُمْ لَهَا عَاكِفُونَ ﴿سورة الأنبياء آیت ۵۲﴾
जब आपने (मुह बोले) पिता और अपनी कौम से कहा कि यह मूर्तियां कैसी है जिनकी (इबादत पर) तुम जमे बैठे हो।
☀ घटित घटनाए:
...............
☀ आज का दिन विशिष्ठ (मख़सूस) है:
हज़रत इमामे ज़मान (अ.त.फ.श.)
☀ आज के अज़कार:
- अल्लाहुम्मा सल्ले अला मोहम्मदिव वा आले मोहम्मद वा अज्जिल फ़राजाहुम (100 बार)
- या ज़ल जलाले वल इकराम (1000 बार)
- या नूरे (256 बार)
☀शुक्रवार के दिन की दुआः
بِسْمِ اللّهِ الرَحْمنِ الرَحیمْ؛ बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्राहीम
अल्लाह के नाम से ( शुरू करता हूं) जो बड़ा दयालू और रहम वाला है।
اَلْحَمْدُ لِلّٰہِِ الاََوَّلِ قَبْلَ الْاِنْشائِ وَالْاِحْیائِ، وَالاَْخِرِ بَعْدَ فَنَائِ الْاَشْیائِ، الْعَلِیمِ الَّذِی अल्हमदो लिल्लाहिल अव्वले क़ब्लल इंशाए वल एहयाए, वल आख़ेरे बादा फ़नाइल अशयाए, अल-अलीमिल लज़ी
प्रशंसा उस अल्लाह के लिए है जो हस्ती और जिंदगी मे सबसे पहले और चीज़ो के फ़ना के बाद सबसे आख़िर मे मौजूद होगा, वह ऐसा ज्ञान वाला है
لاَ یَنْسیٰ مَنْ ذَکَرَہُ، وَلاَ یَنْقُصُ مَنْ شَکَرَہُ، وَلاَ یَخِیبُ مَنْ دَعَاہُ، وَلاَ یَقْطَعُ رَجَائَ ला यनसा मन ज़कारहू, वला यनक़ुस मन शकारहू, वला यख़ीबो मन दआहो, वला यक़्तओ रजाअई
जो उसको याद करे उसे भूलता नही जो उसका शुक्र करे उसे कमी नही आने देता पुकारने वाले को मासूय नही करता और जो उम्मीद रखे उसकी उम्मीद
مَنْ رَجَاہُ ۔ اَللّٰھُمَّ إنِّی ٲُشْھِدُکَ وَکَفی بِکَ شَھِیداً، وَٲُشْھِدُ جَمِیعَ مَلائِکَتِکَ وَسُکَّانَ मन रजाहो - अल्लाहुम्मा इन्नी उश्हेदोका वकफा बेका शहीदन, वा उश्हेदो जमीआ मलाएकतेका वा सुक्काना
मुन्कता नही करता। मै तुझे साक्षी बनाता हूं और तेरा साक्षी होना काफी है और मै तेरे तमाम फरिश्तो, आसमानो
سَمٰواتِکَ وَحَمَلَۃِ عَرْشِکَ، وَمَنْ بَعَثْتَ مِنْ أَنْبِیَائِکَ وَرُسُلِکَ، وَأَ نْشَٲْتَ مِنْ समावातेका वा हमालते अर्शेका, वा मन बअस्ता मिन अंबियाएका वा रोसोलेक, वा अंशाता मिन
के रहने वालो हामेलीने अर्श और तेरे उन पैगंबरो को और रसूलो को जिन्हे तूने भेजा और हर प्रकार के प्राणी जिन्हे तूने पैदा
أَصْنَافِ خَلْقِکَ، أَنِّی أَشْھَدُ أَ نَّکَ أَ نْتَ اللّهُ لاَ إلہَ إلاَّ أَ نْتَ، وَحْدَکَ لاَ شَرِیکَ لَکَ असनाफ़े ख़लक़िक़, अन्नी अश्हदो अन्नका अन्तल्लाहो ला इलाहा इल्ला अन्ता, वाहदका ला शरीका लका
किसी को भी साक्षी बनाकर गवाही देता हूं कि निसंदेह तू खुदा है तेरे सिवा कोई पूजनीय नही है तू अकेला है तेरा कोई भागीदार नही है
وَلاَعَدِیلَ، وَلاَ خُلْفَ لِقَوْلِکَ وَلاَ تَبْدِیلَ، وَأَنَّ مُحَمَّداً صَلَّی اللّهُ عَلَیْہِ وَآلِہِ عَبْدُکَ वला अदीला, वला ख़ुल्फा लेकौलेका वला तब्दीला, वअन्ना मोहम्मदन सल लल्लाहो अलैहे वाआलेहि अब्दोका
और ना बराबर का है तेरे कौल मे मतभेद और परिवर्तन नही है और गवाही देता हूं कि मुहम्मद तेरे अब्दे ख़ालिस
وَرَسُولُکَ، أَدَّی مَا حَمَّلْتَہُ إلَی الْعِبَادِ، وَجَاھَدَ فِی اللّهِ عَزَّ وَجَلَّ حَقَّ الْجِھَادِ وَأَنَّہُ वा रसूलोका, अद्दा मा हम्मलतहू इलल एबादे, वा जाहदा फिल्लाहे अज्जा वा जल्ला हक्कल जेहादे वा अन्नहू
और तेरे रसूल है उन्होने तेरे अहकाम तेरे बंदो तक पहुचाए और तेरी उलूहियत के लिए जेहाद किया जिस प्रकार जेहाद करने का
بَشَّرَ بِمَا ھُوَ حَقٌّ مِنَ الثَّوَابِ، وَأَ نْذَرَ بِمَا ھُوَ صِدْقٌ مِنَ الْعِقَابِ ۔ اَللّٰھُمَّ ثَبِّتْنِی عَلیٰ बश्शरा बेमा होवा हक्को मिनस सवाबे, वा अंज़रा बेमा होवा सिदको मिनल एक़ाबे, अल्लाहुम्मा सब्बितनी अला
हक़ है उन्होने तेरे सवाब की बशारत दी जो हक है और तेर उस अज़ाब से डराया जो बजा है। हे पालनहार जब कि मुझे
دِینِکَ مَا أَحْیَیْتَنِی، وَلاَ تُزِغْ قَلْبِی بَعْدَ إذْ ھَدَیْتَنِی، وَھَبْ لِی مِنْ لَدُنْک رَحْمَۃً إنَّکَ दीनेका मा आहययतनी, वला तोज़िग़ क़ल्बी बादा इज़ हदैयतनी, वहब ली मिन लदुन्का रहमतन इन्नका
जीवित रखे मुझे अपने धर्म पर बाकी रखना और मेरा मार्गदर्शन करने के पश्चात मेरे दिल को तेहड़ा ना करना और मुझे अपनी ओर से रहमत प्रदान कर निसंदेह
أَنْتَ الْوَھَّابُ۔ صَلِّ عَلَی مُحَمَّدٍ وَعَلَی آلِ مُحَمَّدٍ، وَاجْعَلْنِی مِنْ أَتْباعِہِ وَشِیعَتِہِ अन्तल वहाबो, सल्ले अला मुहम्मदिन वा अला आले मुहम्मदिन, वज्अलनी मिन अत्बाएही वा शीअतेहि
तू बड़ा प्रदान करने वाला है मुहम्मद और उनके परिवार वालो पर रहमत नाज़िल फ़रमा और मुझे उनके अनुसरणकर्ताओ और शियो मे क़रार दे
وَاحْشُرْ نِی فِی زُمْرَتِہِ وَوَفِّقْنِی لاََِدَائِ فَرْضِ الْجُمُعَاتِ، وَمَا أَوْجَبْتَ عَلَیَّ فِیھا مِنَ वाहशुरनि फ़ी ज़ुमरतेहि वा वफ़्फ़क़नी लेअदाए फ़रज़िल जुमुआते, वमा ओजबता अलय्या फ़ीहा मिन
और उन्ही के समूह के साथ महशूर फ़रमा मुझे जुमे की नमाजो और जो कुछ तूने इस दिन मे मुझ पर वाजिब क़रार दिया है अदा करने की
الطَّاعَاتِ، وَقَسَمْتَ لاََِھْلِھَا مِنَ الْعَطَائِ فِی یَوْمِ الْجَزَائِ، إنَّکَ أَ نْتَ الْعَزِیزُ الْحَکِیمُ۔ अत्ताआते, वाक़स्समता लेआहलेहा मिनल अताए फ़ी यौमिल जज़ाए, इन्नका अंतल अज़ीज़ उल-हकीम।
तौफ़ीक़ दे और रोज़े क़यामत जब अहले इताअत पर तेरी इनायत हो तो मुझे भी हिस्सा दे कि तू साहिबे इख़्तियार और हिकमत वाला है।
☀ इमाम ए ज़माना (अ.त.फ़. श.) की ज़ियारत
اَلسَّلاَمُ عَلَیْکَ یَا حُجَّۃَ اللّهِ فِی ٲَرْضِہِ اَلسَّلاَمُ عَلَیْکَ یَا عَیْنَ اللّهِ فِی خَلْقِہِ اَلسَّلاَمُ अस्सलामो अलैका या हुज्जत अल्लाहे फ़ी अर्ज़े अस्सलामो अलैका या ऐनल्लाहे फ़ी ख़ल्क़ेह अस्सलामो
आप पर सलाम हो जो खुदा की ज़मीन मे उसकी हुज्जत है आप पर सलाम हो जो खुदा की मख़लूक़ मे उसकी आंख है आप पर
عَلَیْکَ یَا نُورَ اللّهِ الَّذِی یَھْتَدِی بِہِ الْمُھْتَدُونَ وَیُفَرَّجُ بِہِ عَنِ الْمُؤْمِنِینَ اَلسَّلاَمُ عَلَیْکَ अलैका या नूरल्लाहिल लज़ी याहतदि बेहिल मोहतदून वा योफ़र्रजो बेहि अनिल मोमेनीन अस्सलामो अलैका
सलाम हो जो खुदा के वो नूर है जिस से हिदायत पाने वाले हिदायत पाते है और जिस से मोमेनीन को गुशादगी मिलती है आप पर सलाम हो
ٲَیُّھَا الْمُھَذَّبُ الْخائِفُ اَلسَّلاَمُ عَلَیْکَ ٲَیُّھَا الْوَلِیُّ النَّاصِحُ اَلسَّلاَمُ عَلَیْکَ یَا سَفِینَۃَ अय्योहल मोहज़्जबुल ख़ाइफ़ अस्सलामो अलैका अय्योहल वलीयुन नासेह अस्सलामो अलैका या सफ़ीनातन
जो नेक तीनत डरने वाले है आप पर सलाम हो हे ख़ैर खाह वो सरपस्त आप पर सलाम हो हे कश्तिए
النَّجاۃِ، اَلسَّلاَمُ عَلَیْکَ یَا عَیْنَ الْحَیَاۃِ، اَلسَّلاَمُ عَلَیْکَ، صَلَّی اللّهُ عَلَیْکَ وَعَلَی آلِ निजात, अस्सलामो अलैका या ऐनल हयात, अस्सलामो अलैका, सल लल्लाहो अलैका व अला आले
नेजात आप पर सलाम हो हे चश्मा ए हयात आप पर सलाम हो खुदा की रहमत हो आप (अ) पर और आपके पाक
بَیْتِکَ الطَّیِّبِینَ الطَّاھِرِینَ اَلسَّلاَمُ عَلَیْکَ عَجَّلَ اللّهُ لَکَ مَا وَعَدَکَ مِنَ النَّصْرِ وَظُھُورِ बैतेकत तय्येबीनत ताहेरीन, अस्सलामो अलैका अज्जलल लाहो लका मा वआदका मिनन नस्रे व ज़हूरिल
और पाकीज़ा परिवार पर आप पर सलाम हो खुदा उस अम्र के ज़हूर और नुसरत मे जिसका वादा उसने आप से
الْاَمْرِ اَلسَّلاَمُ عَلَیْکَ یَا مَوْلایَ ٲَنَا مَوْلاکَ عَارِفٌ بِٲُولاَکَ وَٲُخْرَاکَ ٲَتَقَرَّبُ إلَی اللّهِ अम्र, अस्सलामो अलैका या मौलाया अना मौलाका आरेफ़ुन बेओलाका वा उख़राका अता क़र्रबो एलल्लाहे
किया है आप (अ) पर सलाम हो हे मेरे सरदार मै आपका ग़ुलाम हूं आपके आग़ाज़ और अंजाम से वाक़िफ़ हूं मै खुदा का क़ुर्ब चाहता
تَعَالَی بِکَ وَبِآلِ بَیْتِکَ وَٲَنْتَظِرُ ظُھُورَکَ وَظُھُورَ الْحَقِّ عَلَی یَدَیْکَ وَٲَسْٲَلُ اللّهَ ٲَنْ तआला बेका वा बे आले बैतेका वा अंतज़ेरो ज़ोहूरकल हक़्क़ा अला यदैका वा अस्अलुल लाहा अन
हूं आपका और आपके परिवार के वसीले की प्रतीक्षा करता हूं आपके ज़ोहुर और आपके हाथो हक़ के ज़ोहूर का और खुदा से सवाल करता हूं
یُصَلِّیَ عَلَی مُحَمَّدٍ وَآلِ مُحَمَّدٍ وَٲَنْ یَجْعَلَنِی مِنَ الْمُنْتَظِرِینَ لَکَ وَالتَّابِعِینَ وَالنَّاصِرِینَ योसल्लेया अला मुहम्मदिन वा आले मुहम्मद, वा अय्यजअलानी मिनल मुंतज़ेरीना लका वत्ताबेईना वन्नासेरीना
कि वह मुहममद (अ) और आले मुहम्मद (अ) पर रहमत फ़रमाए और मुझे आपका इंतेज़ार करने वालो और पैरवी करने वालो और आपके दुश्मनो के
لَکَ عَلَی ٲَعْدائِکَ وَالْمُسْتَشْھَدِینَ بَیْنَ یَدَیْکَ فِی جُمْلَۃِ ٲَوْلِیَائِکَ یَا مَوْلایَ یَا صَاحِبَ लका अला आदाएका वल मुस्तशहेदीना बैना यदैका फी जुमलते ओलेयाएका या मौलाया या साहेबज़
मुक़ाबिल आपके मददगारो और आपके सामने शहीद होने वाले आपके दोस्तो मे से क़रार दे। हे मेरे मौला
الزَّمَانِ، صَلَواتُ اللّهِ عَلَیْکَ وَعَلَی آلِ بَیْتِکَ، ہذَا یَوْمُ الْجُمُعَۃِ وَھُوَ یَوْمُکَ الْمُتَوَقَّعُ ज़मान, सलवातुल्लाहे अलैका व अला आले बैतेक, हाज़ा यौमुल जुमअते वा होवा यौमोका अल मुतावक़्क़ेओ
साहेबज़्जमान (अ) आप पर और आपके अहले ख़ानदान पर खुदा की रहमते हो। यह जुमे का दिन है जो आप (अ) का दिन है जिस मे
فِیہِ ظُھُورُکَ، وَالْفَرَجُ فِیہِ لِلْمُؤْمِنِینَ عَلَی یَدَیْکَ، وَقَتْلُ الْکافِرِینَ بِسَیْفِکَ، وَٲَ نَا یَا फ़ीहे ज़ोहूरेक, वल फ़राजो फ़ीहे लिल मोमेनीना अला यदैक, व क़त्लुल काफ़ेरीना बे सैफेक, व अना या
आप (अ) के ज़ोहूर और आपके ज़रिए मोमेनीन के आसूदगी की तवक़्क़ो है और आपकी तलवार से काफ़िरो के क़त्ल की उम्मीद है और हे
مَوْلایَ، فِیہِ ضَیْفُکَ وَجَارُکَ، وَٲَ نْتَ یَا مَوْلایَ کَرِیمٌ مِنْ ٲَوْلادِ الْکِرَامِ، وَمَٲْمُورٌ मौलाय, फ़ीहे ज़ैफ़ोका वा जारूक, वा अन्ता या मौलाया करीमुन मिन औलादिल किराम, वा मामूरो
मेरे आक़ा मै आजके दिन आपकी शरण मे हूं और हे मेरे आक़ा आप करीम और करीमो की औलाद से है और मेहमान रखने और
بِالضِّیافَۃِ وَالْاِجَارَۃِ فَٲَضِفْنِی وَٲَجِرْنِی صَلَوَاتُ اللّهِ عَلَیْکَ وَعَلَی ٲَھْلِ بَیْتِکَ الطَّاھِرِینَ बिज्जियाफ़ते वल इजारते फ़अज़िफ़नी वा अजिरनी सलवातुल्लाहे अलैका वा अला अहले बैतेकत ताहेरीन
शरण देने पर मामूर है पस मुझे मेहमान कीजिए और शरण दीजिए आप (अ) पर और आप (अ) के पाकीजा अहले ख़ानदान पर खुदा की रहमते हो।
सय्यद इब्ने ताऊस कहते है मै इस ज़ियारत के बाद इस शेर की तरफ मुतावज्जेह होता हूं और इमाम ज़माना की तरफ इशारा करके कहता हूं
"نزیلک حیث ماا تحھت رکابی وضیفک حیث کنت من البلاد" नज़ीलोको हैयसो मा इत्तजहतो रकाबी वा ज़ैयफ़ुक हैय्सो कुन्तो मिनल बिलाद
मेरी सवारी मुझे जहा भी ले जाए मै आप ही का मेहमान हूं और शहरो मे से जिस शहर मे रहूं वहा भी आपका मेहमान हूं।
الـّلـهـم صـَل ِّعـَلـَی مـُحـَمـَّدٍ وَآلِ مـُحـَمـَّدٍ وَعـَجــِّل ْ فــَرَجـَهـُم अल्लाह हुम्मा सल्ले अला मुहम्मदिन वा आले मुहम्मद वा अज्जिल फ़रा-जहुम